याह्या सिनवार कैसे मारे गए, इसराइली सेना ने दिया सिलसिलेवार ब्योरा
इसराइल ने दावा किया है 7 अक्टूबर 2023 के हमले को अंजाम देने वाले हमास नेता याह्या सिनवार को उसने मार दिया है.
इसराइल की सेना ने उस हमले के बाद ही गायब हो चुके सिनवार की तलाश शुरू कर दी थी.
कहा जा रहा था कि 61 साल के सिनवार इस दौरान अपना ज्यादातर समय ग़ज़ा पट्टी में बनी सुरंगों में बिताया करते थे. सिनवार के साथ उनके अंगरक्षक होते थे.
साथ ही वो इसराइल पर हमले के दौरान हमास की ओर से बंधक बनाए नागरिकों को भी ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे थे.
लेकिन आख़िरकार ऐसा लगता है कि दक्षिणी ग़ज़ा में एक इसराइली गश्ती दल के साथ अचानक हुई मुठभेड़ में वो मारे गए. उनकी सुरक्षा के बारे में ब्योरे काफी कम मिले हैं.
सराइली सेना ने बताया कि उसकी 828 वीं बिसलामैक ब्रिगेड बुधवार को रफाह के ताल अल-सुल्तान इलाके में गश्त कर रही थी.
उसी दौरान गश्ती दल ने तीन आतंकवादियों को पहचान की. तुरंत मुठभेड़ शुरू हो गई और तीनों को मार दिया गया.
तब तक इस मुठभेड़ कोई ख़ास बात नहीं दिख रही थी. लेकिन इसे अंजाम देने वाले सैनिक गुरुवार की सुबह तक वहां से नहीं लौटे थे.
लेकिन मुठभेड़ के बाद जब शवों की पहचान की जा रही थी तो एक शव का चेहरा और डील-डौल याह्या सिनवार से काफी मिलता-जुलता लगा.
लेकिन लाशें वहीं पड़ी रहीं. इस तरह के मामले में सावधानी बरती जाती है. हमास की ओर से फंसाने वाली किसी चाल से बचने के लिए लाश की एक उंगली को काट कर जांच के लिए इसराइल भेजा गया.
बाद में उसी दिन सिनवार का शव वहां से निकाल कर इसराइल ले आया गया. उस पूरे इलाके को घेर कर उसे सुरक्षित कर दिया गया.
इसराइली सेना (आईडीएफ) के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा कि उनकी सेना को ये पता नहीं था कि सिनवार वहां थे. लेकिन सेना लगातार वहां अपना ऑपरेशन चला रही थी.
उन्होंने बताया कि इसराइली सैनिकों ने तीन लोगों को एक मकान से दूसरे मकान की ओर दौड़ लगाते देखा. लेकिन वो इधर-उधर जाते उससे पहले ही सैनिकों ने उन्हें ललकारा.
मुठभेड़ के बाद जिस शख़्स की पहचान सिनवार के तौर पर हुई वो अकेले उनमें से एक इमारत की ओर भागते दिखे. सैनिकों ने ड्रोन से उसकी पहचान की और उन्हें मार दिया.
ऐसा लगता है कि सिनवार उस समय अपनी सुरक्षा के लिए ढाल के तौर पर किसी बंधक का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे. उस समय उनके साथ इक्का-दुक्का लोगों की मौजूदगी से ऐसा लगता है कि वो उस इलाके से चुपचाप निकल जाना चाहते थे. या फिर उनकी सुरक्षा में तैनात में कुछ लोग मारे गए होंगे.
इसराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने बताया,'' सिनवार को पीटा गया. उन्हें लोगों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और वो भाग रहे थे. वो किसी कमांडर की मौत नहीं मरे. बल्कि एक ऐसे शख़्स की तरह मरे जिन्हें सिर्फ अपनी फिक्र थी. ये हमारे दुश्मनों के लिए एक साफ संदेश है.''
सिनवार को ‘मार दिया गया’
गुरुवार को इसराइल ने पहले ये कहा कि वह इस बात का पता कर रहा है कि ग़ज़ा में सिनवार मारे गए हैं या नहीं.
ये दोपहर की बात है. फिर कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया पर जो तस्वीर पोस्ट की गई उसमें सिनवार की कद-काठी से मिलते-जुलते शख़्स का शव दिख रहा था. उनके सिर में गहरी चोट लगी थी. तस्वीर इतनी भयावह थी कि उसे दिखाया नहीं जा सकता था. हालांकि उस समय भी अधिकारियों कहा था कि अभी मारे गए लोगों की पहचान नहीं हो पाई है.
इसके काफी देर बाद इसराइली सूत्रों ने बीबीसी को बताया उनके नेताओं को अब पूरा विश्वास होने लगा है कि सिनवार को मार दिया गया है. लेकिन उस दौरान भी उन्होंने यहा कहा कि सिनवार की मौत की पुष्टि से पहले सभी जरूरी जांच कर लेने होंगे.
लेकिन इसमें ज्यादा वक़्त नहीं लगा. गुरुवार की शाम तक इसराइल ने ये ऐलान कर दिया कि उन्होंने जांच पूरी कर ली है. सिनवार को मार दिया गया है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि 'शैतान' को बहुत 'बड़ा चोट' दी है. लेकिन उन्होंने चेताया कि ग़ज़ा में इसराइल का युद्ध अभी ख़त्म नहीं हुआ है
कैसे की गई घेराबंदी
सिनवार को किसी योजनाबद्ध ऑपरेशन के तहत मारा नहीं गया.
इसराइली सेना ने कहा वो उन इलाकों में पिछले कई हफ़्तों से गश्त कर रही थी. उस दौरान ख़ुफ़िया सूत्रों ने संकेत दिए गए कि सिनवार वहां मौजूद हैं.
संक्षेप में कहें तो इसराइली सेना ने रफ़ाह में उनकी लोकेशन का एक मोटा अंदाज़ा लगा लिया था. और धीरे-धीरे उन्हें घेरने की ओर बढ़ रही थी.
सिनवार पिछले एक साल से इसराइली सेना की नज़र में आने से बच रहे थे. हमास के दूसरे नेताओं मोहम्मद दीफ और इस्माइल हनिया की मौत पर निश्चित तौर पर वो अपने ऊपर इसराइल का दबाव महसूस कर रहे होंगे.
इसके साथ ही इसराइल ने वैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी तबाह कर दिया था, जिनका इस्तेमाल उन्होंने 7 अक्टूबर के हमले के लिए किया था.
इसराइली सेना ने एक बयान में कहा है कि दक्षिणी ग़ज़ा में हाल के हफ्तों में चलने वाले उसके ऑपरेशनों ने याह्या सिनवार की गतिविधियों को सीमित कर दिया था.
उनका यहां से दूसरी जगह जाना मुश्किल हो गया था क्योंकि सेना लगातार उनका पीछा कर रही थी. सेना की इस तरह की कार्रवाइयां ही सिनवार की मौत की वजह बनी.